सुख में मनुष्य हंसता रहता है और दुःख में रोता रहता है। सुख के समय ईश्वर की याद नहीं आती, दुःख के समय ही ईश्वर की याद आती है। वास्तविकता यह है कि सुख में ही दुःख के बीज बोये जाते हैं, और दुःख में सुख के। सुख-दुःख में सम्यक रहो, वास्तविक शांति इसी से प्राप्त होती है।
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खुशी और सेहत उसके चेहरे से नूर टपकता है। जब हमें किसी के खुशमिजाज चेहरे और उसकी सेहतमंद मौजूदगी का जिक्र किसी और से करना होता है, तो हम इस तरह के जुमले इस्तेमाल करते हैं। जी, हाँ खुशी और सेहत दोनों ही हमारे चेहरे से टपकती हैं। किसी की ऐसी खूबसूरती को सबसे पहले नजर लगती है उसके बढते वजन से। हालांकि यह बायोलॉजिकल कम साइकोलॉजिकल ज्यादा...
आत्मज्ञान का पर्व शिवरात्रि शिवरात्रि आत्मज्ञान का पर्व है। सत्य को जानने और खोजने का पर्व है। शिवरात्रि सच्चे शिव के साथ जुड़ने का सन्देश देती है। जड़ पूजा से चेतन पूजा की ओर चलो। बाहर की दुनियां से अन्दर की दुनियां में आओ। उठो! जागो! अपने जीवन तथा जगत को संभालो। जीवन बड़ी तेजी से व्यर्थ की बातों, विवादों, उलझनों और भोगों...